चलता रहेता तु ही है राही, पर मैंने भी चलना है जाना | दूर से दिखाई दे रहा है वह, मकसद मेरा सिर्फ उसको है पाना || अड़ग राह की यह मंजिल है, सात समंदर सा यह अंतर है | जिंदगी का उफान यह दुवीधा सा, देशभक्त दिवाना मेरा देश अैसा || बुलंदीयो को है एक बार छुना, पर ना कभी उससे मुकरना | ले जाऊँगा एक दिन मैं उसे आगे, भले पथ पर हो मुश्केली सदासे || आशाऐं बहोत है तुमसे एे-दोस्त, तुम ही तो हो मेरे ऐ-सरफरोश ! दास्ताँन लिखी जाएगी एक बार, इस लिए जिना हैं हमें बार बार ||